Dr, Mamta Sharma, Assistant Professor, Agarwal Girls College, Sri Ganganagar.
नया कुछ नहीं है
वही पहाड़ हैं, वहीं नदियां, वही समंदर
वही फूल, वही पंछी, वही तितलियां, वही बारिश,
वही सूरज, उगता हुआ, ढलता हुआ
वही चांद, घटता हुआ, बढ़ता हुआ
सब कुछ वही है, पहले जैसा, हर दिन की तरह
नया, पर पुराने जैसा, एक नई कविता
पुरानी कविता को दोहराती हुई।
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे कुछ सच्चाइयाँ हमारे सामने बिना किसी शोर के आ खड़ी होती हैं। कुछ बातें जो पहले सिर्फ कहानियों में लगती थीं, अब धीरे-धीरे हमारी हकीकत बन जाती हैं।
हम अकसर आईने में खुद को देखते हैं और सोचते हैं कि क्या हम ठीक हैं? अगर सच कहूं, तो अगर तुम्हें लगता है कि तुम मोटे हो, तो शायद कहीं न कहीं तुम्हारा एहसास ही तुम्हारी सच्चाई का आईना है। यह खुद को नीचा दिखाना नहीं, बल्कि खुद को ईमानदारी से देख पाने की हिम्मत है।
अकेलापन एक अजीब चीज़ है। यह हमें उन दरवाज़ों की तरफ वापस खींच ले जाता है जिन्हें हमने बड़ी मुश्किल से बंद किया था। कभी-कभी बस किसी की मौजूदगी की ख्वाहिश हमें फिर से उन्हीं गलत रिश्तों में उलझा देती है जिनसे निकलने में हमें बहुत वक़्त लगा था। इसीलिए जरूरी है कि हम खुद को समझें और उस अकेलेपन से हार न मानें।
जब कोई हमें नजरअंदाज करता है, बार-बार संदेश भेजने पर भी कोई जवाब नहीं देता, तो हमें यह समझ लेना चाहिए कि आत्मसम्मान, किसी भी उम्मीद से ज़्यादा ज़रूरी है। खुद को उस जगह से हटा लेना जहाँ हमारी कद्र नहीं, एक तरह का प्यार ही है—खुद से।
कुछ चीज़ें जीवन में हमारे काबू में नहीं होतीं—जैसे बालों का झड़ना या दांतों का गिरना। ये छोटी-छोटी बातें हमें याद दिलाती हैं कि हम सबकुछ नियंत्रित नहीं कर सकते। यही जीवन है—थोड़ा बेतरतीब, थोड़ा असहज, लेकिन पूरी तरह से सच्चा।
अक्सर लोग हमारी तरक्की को देखते हैं, लेकिन वे यह नहीं देख पाते कि उस तरक्की के पीछे कितनी तन्हाई छुपी होती है। खुद को बेहतर बनाने के रास्ते में हम इतने अकेले हो जाते हैं कि कभी-कभी कोई हमारे पास आकर बस इतना कह दे कि “मैं समझता हूँ,” तो आंखें भीग जाती हैं।
वक़्त के साथ एक और बात समझ में आई—सच्ची दोस्ती का रिश्ता समय और दूरी से नहीं, दिल से जुड़ा होता है। साल में बस दो-तीन बार मिलने वाले दोस्त भी उतने ही अपने होते हैं जितना रोज़ मिलने वाला कोई।
और रिश्तों की गहराई का असली इम्तिहान तब होता है जब खामोशी भी बोझ नहीं लगती। जब दो लोग साथ हों और कोई बात न हो, फिर भी सुकून बना रहे—तो समझो वो रिश्ता अब शब्दों से आगे निकल चुका है।
हमेशा उस जगह रहो जहाँ तुम्हारे हुनर को सराहा जाए, जहाँ तुम्हें सम्मान मिले। ऐसे माहौल में रहना जहाँ तुम्हें बार-बार खुद को साबित करना पड़े, वो जगह तुम्हारे लायक नहीं है।
और सबसे खूबसूरत बात ये है कि तुम्हारी ज़िंदगी में जो लोग तुम्हें सच्चे दिल से चाहेंगे, उनमें से बहुत से लोग अभी तक आए नहीं हैं। प्यार अभी बाकी है। आगे बहुत कुछ अच्छा होने वाला है।
अगर आज का दिन बुरा भी हो, तो यह मत भूलो कि साल में 364 और दिन हैं। हो सकता है कल सूरज तुम्हारे लिए कुछ नया ले कर आए। एक दिन का दुखी होना ज़िंदगी का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत की दस्तक हो सकती है।
कभी-कभी हम जिन सच्चाइयों से भागते हैं, वही सबसे ज़्यादा हमें मजबूत बनाती हैं। और अगर तुमने भी इनमें से कुछ महसूस किया है, तो जान लो—तुम अकेले नहीं हो।

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