श्रीमती निधि गीदड़ा, सहायक प्राध्यापक (अर्थ र्थशास्त्र), अग्रवाल गर्ल्स कॉलेज
अग्रवाल गर्ल्स कॉलेज श्रीगंगानगर के लिए यह एक बड़े गर्व का अवसर है जब कॉलेज की एक छात्रा सुश्री गरिमा नैन, (बी.कॉम 2nd सेमेस्टर) हाल ही में राज्य स्तरीय शूटिंग प्रतियोगिता के लिए चयनित हुई हैं। यह उपलब्धि न केवल उनके माता-पिता एवं कॉलेज के लिए एक गर्व की बात है, बल्कि कॉलेज की अन्य छात्राओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत भी है इस अवसर पर कॉलेज की व्यख्याता श्रीमती निधि गीदड़ा ने उनसे एक विशेष बातचीत की जिसमे सुश्री गरिमा ने अपनी इस उपलब्धि पर विस्तार से बताया
निधि : सबसे पहले, आपको बहुत-बहुत बधाई! कृपया अपने बारे में कुछ बताएं।
गरिमा: धन्यवाद! मेरा नाम है गरिमा नैन, मैं अग्रवाल गर्ल्स कॉलेज श्रीगंगानगर में बी.कॉम 2nd सेमेस्टर की छात्रा हूँ। मुझे बचपन से ही खेलों में रुचि रही है, और पिछले कुछ वर्षों से मैं शूटिंग को पूरी गंभीरता से ले रही हूँ।
निधि : आपको शूटिंग को एक खेल के रूप में अपनाने की प्रेरणा कहाँ से मिली?
गरिमा: सच कहूँ तो शुरुआत में मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं शूटिंग जैसे खेल में उतरूँगी। लेकिन जब मैंने केवल दो महीने की प्रैक्टिस के बाद जयपुर में आयोजित एक ओपन मैच में हिस्सा लिया और अच्छा प्रदर्शन किया, तो मुझमें आत्मविश्वास आया। उस अनुभव ने मुझे यह महसूस कराया कि अगर मैं थोड़ी और मेहनत करूँ, तो मैं इस क्षेत्र में कुछ बड़ा कर सकती हूँ। वही पहली जीत मेरे लिए एक टर्निंग पॉइंट बनी और वहीं से मुझे खुद पर विश्वास और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। मेरे कोच और परिवार ने भी मुझे लगातार प्रोत्साहित किया, जिससे मेरा आत्मविश्वास और बढ़ता गया।

निधि : राज्य स्तर तक पहुँचना आसान नहीं होता। आपने क्या चुनौतियाँ झेली?
गरिमा: सबसे बड़ी चुनौती समय का प्रबंधन था — पढ़ाई और अभ्यास के बीच संतुलन बनाना। साथ ही, शूटिंग के लिए जरूरी सुविधाएँ और उपकरणों की व्यवस्था करना भी एक कठिनाई थी। लेकिन मेरे माता-पिता और कॉलेज ने पूरा सहयोग दिया।
निधि : आपकी तैयारी का दैनिक रूटीन कैसा रहता है?
गरिमा: मेरे लिए दिन की शुरुआत मानसिक शांति के अभ्यास से होती है, इसलिए मैं रोज़सुबह लगभग 15-20 मिनट ध्यान (मेडिटेशन) करती हूँ। इससे मुझे अपने लक्ष्य पर फोकस करने में मदद मिलती है। उसके बाद मैं शूटिंग की प्रैक्टिस करती हूँ, जिसमें पोजिशनिंग, ब्रेथिंग (Breathing) कंट्रोल और टारगेट फोकस पर खास ध्यान देती हूँ। अगर कॉलेज का समय होता है तो मैं उसे प्राथमिकता देती हूँ और शाम को समय निकालकर दोबारा प्रैक्टिस या फिटनेस वर्कआउट कर लेती हूँ। मेरा मानना है कि अनुशासन और मानसिक संतुलन शूटिंग जैसे खेल में बहुत ज़रूरी है।
निधि : इस सफलता का श्रेय आप किसे देना चाहेंगी?
गरिमा: सबसे पहले मेरे माता-पिता को, फिर मेरे कोच और कॉलेज के शिक्षकों को, जिनका मार्गदर्शन हमेशा मेरे साथ रहा।
निधि : भविष्य में आप खुद को कहाँ देखना चाहती हैं?
गरिमा: मेरा सपना है कि मैं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करूँ। मैं चाहती हूँ कि एक दिन मैं ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड मेडल जीत सकूँ।
निधि : कॉलेज के अन्य छात्रों के लिए आप क्या संदेश देना चाहेंगी?
गरिमा: मैं बस इतना कहना चाहती हूँ कि अपने शौक को कभी छोटा मत समझिए। अगर आप मेहनत और समर्पण के साथ आगे बढ़ें तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।
गरिमा नैन न केवल खेल में एक प्रेरणा हैं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि समर्पण, समय प्रबंधन और सकारात्मक सोच से कोई भी ऊँचाई हासिल की जा सकती है। कॉलेज परिवार की ओर से हम उन्हें आगे के सफर के लिए ढेरों शुभकामनाएँ देते हैं।

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