Compiled by Dr. Mamta Sharma, Assistant Professor, Aggarwal Girls College, SriGanganagar
यह लेख हर उस पिता की आत्मा को समर्पित है जो देर से ही सही, लेकिन जाग जाता है…
रात काफी हो चुकी है।
अंधकार की काली चादर चारों ओर पसरी है। कमरे की बत्ती बुझाने के बाद गहराता सन्नाटा कुछ सवालों को जन्म देता है। मेरी आंखों में नींद नहीं है शायद मन बेचैन है।
आज, इस निस्तब्ध रात में, मैं अपने प्यारे बेटे से बात कर रहा हूं…
तू मेरी गोद में निश्चिंत सो रहा है। तेरे नन्हे हाथ, गोरे गाल और बिखरे बाल जैसे कोई मासूम कविता मेरे सीने से लिपटी हो।
तेरे चेहरे की मुस्कान मानो कह रही हो,
“आप हो ना पापा…”
लेकिन बेटे, आज तेरे इस रात के गहरे सन्नाटे के बीच मैं भीतर से हिल गया हूं।
मैं अपराधबोध से भरा हूं… क्योंकि कल सुबह जब तू मेरी छाती से चिपक कर और चादर में सिमट कर सो रहा था, मैं अलार्म बजते ही तुझे डांट कर उठा बैठा।
तू स्कूल नहीं जाना चाहता था, लेकिन मैंने समय के अनुशासन के नाम पर तुझे अनसुना कर दिया।
बस स्टॉप पर तू उदास खड़ा था , मैं देख रहा था… पर फिर भी चुप था।
शाम को जब दफ्तर से लौटा, तू दौड़ कर मेरी बाहों में समा गया जैसे कुछ हुआ ही न हो।
तेरे उस आलिंगन में इतनी गर्मजोशी थी कि मेरा थका हुआ मन कुछ पल को जीवन की असली परिभाषा को छू आया।

लेकिन अब… अब मैं समझ गया हूं कि तेरा बचपन मुझसे धीरे-धीरे छिन रहा है — और मैं शायद उसे लौटकर कभी न पा सकूं।
आज, जब तू मेरी गोद में निश्चिंत नींद में डूबा है, मैंने निर्णय लिया है…
अब मैं सिर्फ मशीन नहीं बनूंगा।
अब मेरी जिंदगी का सबसे ज़्यादा वक़्त सिर्फ तेरे लिए ही होगा,क्योँकि मैं जान गया हूँ कि तेरा ये बचपन वापिस लौट कर नहीं आएगा, मैं तुझे बड़ा होता हुआ देखना चाहता हूँ, तेरी छोटी से छोटी शरारत को देखना चाहता हूँ, और हर पल को मह्सूस करना चाहता हूँ |
अब शामें अपॉइंटमेंट्स की नहीं होंगी, तेरे खिलखिलाने की होंगी।
मैं तेरे साथ नाचूंगा, गाऊंगा, खेलूंगा और तेरे सपनों को समझने की कोशिश करूंगा।
तू आज सो रहा है, पर मैं जाग गया हूं।
और कल जब तेरी आंख खुलेगी,
तू एक “जागे हुए पिता” से मिलेगा।
जो अब भी बहुत कुछ सीख रहा है तुझसे।
मुझे माफ कर देना, मेरे बेटे।
अब तुझे वक़्त देना ही मेरी प्राथमिकता है।
अब तुझे देखना ही मेरी सफलता है।
सुबह जब तुम जागोगे तो मैं तुम्हे सबसे पहले ये बताना चाहूंगा कि मैं तुम्हे कितना प्यार करता हूँ |

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Very nice thought! Expressing the relationship between father and son very well…